शनिवार, 23 फ़रवरी 2013



 

जिंदगी के सपने  

 चंदा से पूछकर
चांदनी चुरा लायी हूँ
घरौंदे में सजाकर
रौशनी फैलाई  हूँ। 

बादलों को रोककर
अभी अभी तो आयी  हूँ
जो आये वो तो
बरसने को बोल आयी  हूँ। 

चमन की हर कली  से पूछकर
अनेकों रंग लायी हूँ
भरके जिंदगी में उनको
वसंत - बहार लायी हूँ .

समय से पूछकर 
कुछ पल चुराके लायी हूँ
जो जी लूँ इसमें तो
अनमोल सुख मैं पायी हूँ। 

हया से पूछकर
लाली प्रेम की लायी हूँ
अधरों पे सजा के
प्रेमगीत गायी  हूँ .

पिया के प्रेम में रमकर
जोगन बन आयी  हूँ
डूबके गहराईयों में
प्रेमरस पायी हूँ। 


सपने मैं सजाकर  
जिंदगी की आयी  हूँ 
खुशियाँ हो बसंती 
ख्वाहिशें सजायी  हूँ। 












  

शनिवार, 16 फ़रवरी 2013

हर ओर रंग ही वासंती 


















पिया वसंत जो आ गए 
सज गयी रंगों में प्रकृति 
पीले सरसों के खेत में
दिखी है वासंती ओढ़नी
पगडंडियों से गुजरती
ऋतुराज की प्रेयसी
बेखौफ, मदमस्त बहती
बयार ये वसंती
अमराइयों से झाँकती
मंजरियाँ डोलती
कुहू ........कुहू  गा उठती
रह - रह के कोयल प्रेमगीत
सोलहो श्रृंगार से सज 
नववधू मन मोहती 
मधुमास में पिया वसंत संग 
हर ओर रंग ही वासंती .................


गुरुवार, 7 फ़रवरी 2013


 प्रेम का अहसास 
 

जो सुरूर छाया  हमपे 
मदहोश हो गए हम 
ख़ामोशी उनकी  समझी 
कि उनके हो गए हम ...........

जो बादलों से पूछी 
क्यों मस्त चल रहे वो 
तो मस्तियों से समझी 
धरती से मिल चुके वो ...........

जो गुनगुनाता भौरा 
खामोश हो गया तो 
फिर चमन ने समझा 
मदहोश हो गया वो ...............
 
जो ऋतु वसंत आया 
कोयल ने तान छेड़ी 
अमराइयों ने समझा 
कि प्रेम में वो डूबी .....................