जिंदगी के सपने
चंदा से पूछकर
चांदनी चुरा लायी हूँ
घरौंदे में सजाकर
रौशनी फैलाई हूँ।
बादलों को रोककर
अभी अभी तो आयी हूँ
जो आये वो तो
बरसने को बोल आयी हूँ।
चमन की हर कली से पूछकर
अनेकों रंग लायी हूँ
भरके जिंदगी में उनको
वसंत - बहार लायी हूँ .
समय से पूछकर
कुछ पल चुराके लायी हूँ
जो जी लूँ इसमें तो
अनमोल सुख मैं पायी हूँ।
हया से पूछकर
लाली प्रेम की लायी हूँ
अधरों पे सजा के
प्रेमगीत गायी हूँ .
पिया के प्रेम में रमकर
जोगन बन आयी हूँ
डूबके गहराईयों में
प्रेमरस पायी हूँ।
सपने मैं सजाकर
जिंदगी की आयी हूँ
खुशियाँ हो बसंती
ख्वाहिशें सजायी हूँ।