बुधवार, 20 जून 2012

सुनहरे सपने

सुनहरे सपने 

 देखे जाते हैं कुछ सुनहरे सपने 
उगते सूरज से सुनहरे  
जीवन के  अपने, कुछ अपनों के
बुने  जाते है ताने - बाने रंगों के
और फिर जीवंत हो उठती है कल्पना
सुन्दरतम  अहसासों के साथ
धीमे - धीमे बढ़ते जाते
हमारे खवाबों के  दायरे 
आकार  ले  लेते पूनम की चाँद के
पूर्णता के साथ जीवन के  स्वरुप  को 
ढाल देते नित नए साँचे में सुनहरे  सपने ..............
 


शुक्रवार, 15 जून 2012


छुट्टियाँ क्या हुई बच्चों की दुनिया में एक नया जोश आया और  शैतानियों की  भरपूर लिस्ट तैयार थी . कोई  किसी से कम  नहीं था , एक से एक नए कारनामे होने लगे , अब इस बेचारी बिल्ली की शामत  आई थी  जो बच्चों के सामने आ गयी .......................................ये  तो होना ही था .
 
 दोस्ती बड़ी प्यारी होती है . आओ दोस्त साथ थोडा घूम ले .







छोटे नबाब को  फूल बड़े प्यारे लगते है .




 मै तो बड़ी अच्छी बिटिया हूँ ................................................
एक  छोटी सी गुडिया हूँ ................................


 मम्मी ये  मेरा खिलौना ले लिया ....................................................ऊँ ......ऊँ ..............
गले मिलकर सारे गिले - शिकवे दूर हो गए ........................अरे ...........ये तो जादू की झप्पी है ..................


शनिवार, 9 जून 2012

आओ पेंड लगायें हम

 आओ पेंड लगायें हम

आओ पेंड लगायें हम 
 धरती को  हरा  बनायें हम 
तपती धरती को मिलकर  फिर से 
 शीतल स्वर्ग बनायें हम 
 आओ पेंड लगायें हम 

इक छोटी बगिया हो अपनी 
जिसमे फूल लगायें हम 
फिर रंग - बिरंगी तितलियों के 
पीछे दौड़ लगायें हम 
आओ हरियाली लायें हम 
इक सुन्दर जहाँ बसायें  हम 

जहाँ कल - कल करती नदियाँ हों 
छोटी - छोटी सी तलैया हो 
फिर कागज की कश्ती को ले 
बारिश में तेज बहायें हम 
आओ पेड़ लगायें हम 
धरती को हरा बनायें हम