शुक्रवार, 27 मई 2011

                नीचता की हद पार कर गया अमेरिका 

यह कोई पहली बार नहीं है कि अमेरिका ने हमें अपमानित किया लेकिन यह मुद्दा मानवाधिकार आयोग के पास जाना चाहिए क्योंकि इसमे एक अठारह साल कि लड़की कृतिका के साथ ऐसी बदसलूकी कि गयी जो मानवता के खिलाफ है . उसे हथकड़ी लगा कर उसके साथियों के सामने जेल ले जाया गया और उसके घर वालों को भी खबर नहीं दी गयी. वह कोई साधारण लड़की नहीं थी फिर भी भारतीय दूतावास में स्थित उसके पिता सूचना नहीं दी गयी, क्यों ? उसे मानसिक रूप से प्रताड़ित किया गया और बाथरूम तक नहीं जाने दिया गया. अंत में वह सबके सामने ही वह काम की जो इतनी बड़ी लड़की के लिए कितनी शर्मनाक हुई होगी. क्या यह मानवाधिकार का उलंघन नहीं है?
                        हम सभी भारतीयों को इसका हर माध्यम से विरोध करना चाहिए और अमेरिका को धिक्कारना चाहिए. जिस मानसिक दौर से कृतिका गुजारी होगी वह कितना भयावह होगा. उसे इंसाफ कैसे मिलेगा?

रविवार, 15 मई 2011

बाईस लाख में दूल्हा बिका  और दुल्हन----------

वाह रे समाज और यहाँ बसे लोभ , हम तरक्की कर मंगल पर निवास करने की सोंच रहे है पर क्या वहां भी दहेज़ के लिए हम मुंह बाए खड़े रहेंगे? काफी व्यथित कर गया मुझे यह समाचार जो मेरे पड़ोस का ही है. बेचारा दूल्हा बलि का बकरा बन गया.
                          हुआ ये की लड़का बैंक में पीओं  है और उसके लिए रिश्ते भी अनेक आये. पता नहीं उसकी किस्मत में क्या लिखा था कि घरवालों कि लालची नियत ने उसे दहेज़ कि मंदी में बेंच दिया, कीमत लगी बाईस लाख और बेचारा हलाल हो गया .
                       बात येही तक नहीं रही , बारात शान से निकली तथा दुल्हन अगले दिन ससुराल आई, पर हाय रे किस्मत लड़के की भी नीलम हो गयी. ससुराल में आकर वो छत से कूदने लगी, बाल नोचने लगी और जो कोई  उसके पास आता उसे काटने लगती. इधर रिसेप्सन की तैआरी और  उधर दुल्हन की बीमारी यानि पागल लड़की से पैसे का लालच देकर शादी कर दी गयी और धन के लोभ में लड़का पछ यह भी नहीं जान पाया की लड़की पागल है, तो अब यह दोष किसका है और लड़का बेचारा क्या करे?